यदि हम धैर्य तथा सावधानीपूर्वक इस अद्भुत ब्रह्माण्ड के विषय में विचार करें तो हम देख सकते है कि सब कुछ एक सर्वश्रेष्ठ मष्तिष्क के नियंत्रण में कार्यरत है | प्रकृति में सभी क्रियाएं पूर्ण रूप से क्रम बद्ध है(Krishan Updesh)| यदि इसके पीछे एक वैज्ञानिक तथा तकनीकी मष्तिष्क की अत्यंत सुव्यवस्थित योजना न होती तो सब कुछ अनियमित होता |
यह एक सर्वसाधारण तथ्य है कि प्रत्येक कार्य के पीछे एक कारण होता है | एक संचालक के अभाव में कोई यंत्र कार्य नहीं कर सकता | आधुनिक वैज्ञानिक स्वचलन( automation) पर बहुत गर्व कर रहे है, परन्तु स्वचलित यंत्रो के पीछे भी एक वैज्ञानिक मस्तिष्क(बुद्धि) है | एल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी यह स्वीकार किया था कि प्रकृति के समस्त भौतिक नियमों के पीछे एक दक्ष मष्तिष्क है |
Krishan Updesh BhagwatGeeta :
जब हम ‘ मष्तिष्क ‘ तथा चालक के विषय में बात करते है तो ये शब्द एक व्यक्ति की ओर संकेत करते है | वे किसी भी स्थिति में निराकार(Impersonal) नहीं हो सकते | कोई यह जिज्ञासा कर सकता है कि यह व्यक्ति कौन है | यह व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण है, जो सर्वोतम वैज्ञानिक व सर्वश्रेष्ठ अभियंता है | जिनकी करुण इच्छा पर सम्पूर्ण स्रष्टि कार्य कर रही है | श्रीकृष्ण कहते है — ” सम्पूर्ण विराट जगत मेरे अधीन है | यह मेरी इच्छा से ही बारम्बार स्वतः प्रकट होता रहता है और मेरी ही इच्छा से अंत में विनष्ट हो जाता है ” | भगवान श्रीकृष्ण ने ये शब्द भगवद् गीता में कहे है | ** janmashtami kab hai **
आज मनुष्य हर तथ्य को वैज्ञानिक द्रष्टि से प्रमाणित करता है | हर जगह विज्ञान को प्राथमिकता देता है | जो बात और तथ्य वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं होते है उनके अस्तित्व पर ही सवाल खड़े करता है | उन्हें ढोंग- दिखावा- आडम्बर या छल-कपट की संज्ञा देकर पीछा छुड़ा लेता है | विज्ञान स्वयं में यदि इतना ही सक्षम है तो इस ब्रह्माण्ड के सभी रहस्यों को क्यों नहीं सुलझा लेता है | सच तो यह है कि विज्ञान ने आज तक इस ब्रह्माण्ड के 1% रहस्यों को भी नहीं सुलझाया है(Krishan Updesh) |
विज्ञान इस स्वतंत्र रूप से स्वचलित ब्रह्माण्ड और पृथ्वी के रहस्यों को कभी सुलझा ही नहीं सकता क्योंकि इसे समझने के लिए अध्यात्म के मार्ग की आवश्यकता है किसी प्रकार के सिद्धांत या मशीन की नहीं |