भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्द सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में प्रभास पाटन में स्थित है | धार्मिक द्रष्टि से यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है | गुजराज के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बंदरगाह पर स्थित इस प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने करवाया था | अंतिम बार इस मंदिर(Somnath Mandir ki Kahani) का निर्माण कार्य सरदार वल्लभ भाई पटेल के कार्यकाल में कराया गया था किन्तु दुर्भाग्यवश मंदिर की मरम्मत का कार्य पूर्ण होते होते सरदार वल्लभ भाई पटेल इस दुनिया में नहीं रहे और कनैया मानकलाल मुंशी के कार्यकाल में मंदिर की मुरम्मत का कार्य पूर्ण हो सका |
सोमनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी/Somnath Mandir ki Kahani : –
एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्रजापति राजा दक्ष ने अपने 27 पुत्रियों का विवाह चंदमा के साथ कर दिया | चंद्रमा को पति स्वरुप पाकर सभी दक्षकन्यायें प्रसन्नचित थी | किन्तु चंद्रमा का सभी दक्ष कन्याओं में से रोहिणी के प्रति विशेष प्रेम था | रोहिणी के प्रति इस प्रकार प्रेम और बाकी सभी दक्ष कन्याओं के प्रति कम प्रेम रखना, चंद्रमा की अन्य पत्नियों के ह्रदय को ठेस पहुचानें लगा | चंद्रमा की अन्य सभी पत्नियों में अपनी व्यथा अपने पिता राजा दक्ष को सुनाई | प्रजापति दक्ष के बार-बार समझाने पर कि इस प्रकार अपनी पत्नियों से प्रेम में भेदभाव चंद्रमा को पाप का भागी बना सकता है, चंद्रमा ने उनकी एक न सुनी | अंत में प्रजापति दक्ष ने चन्द्रमा को क्षयरोग होने का श्राप दे दिया | उसी समय चंद्रमा क्षयरोग से पीड़ित हो गये | चंद्रमा के साथ ऐसा होने पर सभी तरफ हाहाकार मच गया | सभी देवता गण व्याकुल हो गये |
अंत में चन्द्र देव व सभी देवतागण और इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास गये | सभी के आग्रह पर ब्रह्मा जी ने चंद्रमा को पृथ्वी के प्रभास क्षेत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र के जप कर उन्हें प्रसन्न करने को कहा | ब्रह्मा जी के सुझाव अनुसार चंद्रमा ने प्रभास में शिवलिंग की स्थापना कर महामृत्युंजय मंत्र के कठोर जप करने आरम्भ कर दिए | अंत में चंद्रमा की कठोर तपस्या से भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें क्षय रोग से मुक्त किया | किन्तु साथ में भगवान शिव ने यह भी कहा कि : तुम्हारा अस्तित्व एक पक्ष में निरंतर क्षीण होता जायेगा व दुसरे पक्ष में बढ़ता जायेगा | चन्द्रमा की इस भक्तिभाव से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ इस स्थान पर साकार लिंग के रूप में प्रकट हुए | बाद में यही स्थान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्राख्यात हुआ |
उपरोक्त कथा के अतिरिक्त भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर अपने प्राणों का त्याग किया और यहीं से स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया था | (Somnath Mandir ki Kahani)
सोमनाथ मंदिर के विषय में रोचक तथ्य : –
- सोमनाथ मंदिर समुद्र के किनारे बसा हुआ है जिसका एक हिस्सा सदैव पानी की तरफ रहता है |
- चैत्र , भाद्र और कार्तिक माह में श्राद्ध के लिए यहाँ दूर-दूर से भक्तजन आते है | वैसे भक्तों के दर्शन हेतु पूरे वर्ष मंदिर खुला रहता है |
- मंदिर के पास में ही तीन नदियाँ हिरण , कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है |
- प्रतिदिन मंदिर सुबह 06 बजे से रात्रि 09 बजे तक भक्तों के दर्शन हेतु खुला रहता है | जहाँ सुबह 7 बजे , दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे तीन आरतियाँ होती है |
- सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में ही – हनुमान मंदिर , पर्दी विनायक , नवदुर्गा खोड़ीयार , महारानी अहिल्याभई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , अहिल्येश्वर ,अन्नपूर्णा , गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर भी स्थित है |
- सोमनाथ मंदिर के सबसे निकट व विश्व प्रसिद्द श्री कृष्ण द्वारका करीब 200 किलोमीटर दूर है | भगवान श्री कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश के दर्शन हेतु पूरे विश्व भर से श्रद्धालु गण आते है |
- दुनियां के सबसे अमीर मंदिरों में सोमनाथ मंदिर का नाम शामिल है |
Related Post :
- भारत के प्रसिद्द व चमत्कारिक 10 हिन्दू मंदिर
- कामाख्या देवी मंदिर, माँ का सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ
- ज्वाला देवी मंदिर , माँ का सबसे चमत्कारिक शक्तिपीठ
सोमनाथ मंदिर में दर्शन से मिलने वाले लाभ : –
सोमनाथ मंदिर(Somnath Mandir ki Kahani) के दर्शन करने व यहाँ पूजा-आराधना करने से क्षय (कोड़) रोग से पीड़ित रोगी ठीक हो जाते है | यहाँ एक प्राकर्तिक सोमकुंड है जिसके विषय में मान्यता है की इस कुंड में स्वयं शिव तथा ब्रह्मा अंश रूप में सदैव विद्यमान है | इसे चन्द्र कुंड के नाम से भी जाना जाता है | इस सोमकुंड में स्नान करने से मनुष्य अपने समस्त पापों से मुक्ति पाता है | सोमनाथ को पाप नाशक तीर्थ भी कहा जाता है |