हनुमान जी की आराधना शीघ्र फल प्रदान करने वाली है | जो भक्त नियमित हनुमान जी की पूजा-आराधना करते है उन्हें हर प्रकार के भय, शत्रु आदि से छुटकारा मिलता है व सम्पूर्ण जीवन सुखमय व्यतीत करता है | आज हम आपको हनुमान जी के पंचमुखी(Panchmukhi Hanuman Ji Ki Kahani) रूप धारण करने की कहानी के विषय में जानकारी देने वाले है |
Panchmukhi Hanuman Ji Ki Kahani :
भगवान श्री राम और रावण के मध्य होने वाले युद्ध में जब रावण हार की कगार पर था तो उसे अपने भाई अहिरावण की याद आई जो पाताल नगरी के राजा थे | अहिरावण तंत्र-मंत्र विद्या में माहिर थे इसलिए रात्रि के समय अहिरावण ने अपनी माया शक्ति से भगवान श्री राम और लक्ष्मण सहित सारी सेना को नींद में ही बेहोश कर दिया | भगवान राम और लक्ष्मण को बेहोशी की मुद्रा में बंदी बनाकर पातालनगरी ले आया | शीघ्र ही विभीषण को अहिरावण की इस चाल का पता लग गया और तुरंत हनुमान जी को इस विषय में बताया और कहा जाओ जितना शीघ्र हो सके भगवान राम और लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से आजाद कराओ |
ऐसा सुनते ही हनुमान जी तुरंत पाताललोक की तरफ चल दिए | पाताललोक के द्वार पर उन्हें मकरध्वज मिला जो पातालनगरी की रक्षा के लिए वहा तैनात था | हनुमान जी और मकरध्वज के बीच भयंकर युद्ध हुआ व अंत में मकरध्वज को युद्ध में पराजय कर हनुमान जी उस स्थान पर आ पहुंचे जहाँ भगवान राम और लक्ष्मण को अहिरावण ने बंधी बनाया हुआ था |
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अहिरावण माँ भवानी का बहुत बड़ा भक्त था व उसने माँ भवानी के समक्ष सभी पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाये हुए थे इन पांच दीपक के एक साथ बुझने पर ही अहिरावण का वध संभव था | इसलिए सभी दीपक को एक साथ बुझाने के लिए हनुमान जी ने पांच मुख का अवतार धारण किया | उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख, इस प्रकार से हनुमान जी ने पाँच मुख(Panchmukhi Hanuman Ji Ki Kahani) धारण कर सभी दीपक को एकसाथ बुझाया और अहिरावण का संहार कर भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया |