घर में पाठ-पूजा करना भारतीय संस्कृति में अनादि काल से चला आ रहा है | यूं तो भक्तजन मंदिर में जाकर देव आराधना करते है किन्तु समय के अभाव के रहते , मंदिर जाने का समय निकाल पाना थोडा मुश्किल हो जाता है , इसीलिए घर पर पाठ -पूजा करना भी फलदायी माना गया है | हिन्दू धरम में प्रत्येक परिवार में पूजा करने का एक स्थान होता है, जहाँ वे अपने आराध्य देव या देवी की प्रतिमा स्थापित करते है | और सुबह -शाम दूप-दीप भी प्रज्वलित करते है | आमतौर घर में पाठ-पूजा(Ghar me Pooja Path ka Sthan ) का कार्य घर की गृहणी करती है |
घर में पूजा करने का स्थान कैसा होना चाहिए ? पूजा का स्थान घर में कहाँ स्थापित होना चाहिए ? पूजा स्थल में कौन-कौन सी वस्तुएं रखना शुभ है और कौन सी अशुभ ? पूजा करने की विधि आदि के विषय में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होती | इसीलिए घर में पूजा स्थान पर होने वाली गलतियाँ आपको इससे मिलने वाले फल से वंचित रख सकती है | घर में की जाने वाली पाठ -पूजा( Ghar me Pooja Path ka Sthan ) का सम्पूर्ण फल पाने के लिए आप इस post में पूजा स्थान से जुड़ीं जानकारियों को अच्छे से समझकर उनको प्रयोग में लाये |
घर में पूजा स्थान कहाँ होना चाहिए : –
शास्त्रों के अनुसार घर में पूजा करने का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए | ईशान कोण – उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच का भाग ईशान कोण होता है | ईशान कोण को शुभ कार्यों के लिए सबसे उत्तम दिशा माना गया है | इसलिए इस दिशा में पूजा के मंदिर को स्थापित करें | यदि किसी कारणवश ऐसा न भी कर पायें तो भूलकर भी घर के ईशान कोण में गंदगी जमा न होने दे व घर के इस हिस्से को सदा पवित्र रखे | ईशान कोण के अतिरिक्त पूर्व दिशा भी पूजा स्थान के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है | इसीलिए आप घर में ईशान कोण व पूर्व दिशा दोनों में से जहाँ भी आप सुविधाजनक रूप से पूजा स्थल की स्थापना कर सके, अति उत्तम है |
पूजा स्थल में कौन-कौन से वस्तुएं शुभ और अशुभ होती है :-
घर में पूजा का स्थान सुनिश्चित करने के पश्चात प्रश्न उठता है कि पूजा स्थल में कौन-कौन से चीज़े रखना शुभ होता है और अशुभ चीज़े क्या है ताकि इन्हें तुरंत पूजा स्थल से हटा दिया जाये | वैसे तो पूजा के स्थान की सजावट व्यक्ति की श्रद्धा और कला पर निर्भर करती है इसमें कोई बाध्यता नहीं है | पूजा स्थल में कौन-कौन से देव व देवी की प्रतिमा लगानी है वह भी व्यक्ति की देवों के प्रति श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है किन्तु पूजा स्थल में कुछ चीजों का होना बहुत जरुरी है, इनके होने से आप पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल प्राप्त करते है | तो आइये जानते है ऐसी कौन-कौन सी चीजें है जो पूजा स्थल में होनी चाहिए : –
- पूजा स्थल में गणेश जी स्थापना अवश्य करें | इसके लिए एक सुपारी या ठोस मिटटी की डली पर लाल धागे(मोली ) को लपेट ले व कुमकुम द्वारा तिलक कर एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर स्थापित करें |
- पूजा स्थल में एक कोने में बंद पात्र में गंगाजल अवश्य रखना चाहिए |
- एक ताम्बे के छोटे से लौटे में जल को पूजा स्थल में अवश्य रखना चाहिए | प्रतिदिन इस पात्र का जल बदलना चाहिए व पुराने जल को किसी पीपल के पेड़ में या तुलसी के पौधे में डाल सकते है |
- पूजा के स्थान में एक देव की सिर्फ एक ही प्रतिमा रखे | यदि आपके पास एक देव की एक से अधिक प्रतिमा पूजा स्थल में है तो उन्हें घर में कहीं भी दिवार आदि पर लगा सकते है किन्तु पूजा स्थल में एक देव की एक ही प्रतिमा रखे |
- घर में पूजा के स्थान पर कभी भी बड़ी मूर्तियाँ न रखें | बड़ी मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा होना अनिवार्य हो जाता है | इसीलिए बड़ी मूर्तियां मंदिर के लिए ही उचित है | पूजा स्थल में छोटी मूर्ति रख सकते है अन्यथा प्रतिमा रख सकते है |
- पूजा करने के स्थान पर भूलकर भी अपने पित्र देव ( अपने स्वर्गीय माता, पिता ) की फोटो न लगाये | उनका स्थान अलग रखे |
- पूजा स्थल में कूड़ा-करकट एकत्रित न होने दे | प्रतिदिन पूजा घर की सफाई करें |
- अगर आपने पूजा घर में कोई मूर्ती की स्थापना की हुई है तो ध्यान दे , मूर्ती का कोई भी हिस्सा खंडित नहीं होना चाहिए ( खंडित होने से तात्पर्य मूर्ती का कोई हिस्सा टूटने या उसमें दरार आने से है ) मूर्ति खंडित होने पर तुरंत उसे वहां से हटा दे | खंडित मूर्ति को आप बहते पानी में विसर्जित कर सकते है |
- पूजा स्थल में चमड़े की कोई वस्तु जैसे पर्स , बेल्ट या चमड़े का बैग आदि कदापि न रखे |
- पूजा के समय शुद्ध देसी गाय के घी का प्रयोग करें, व भोग लगाने के लिए अग्नि में गाय के गोबर के कंडो(ऊपलों ) का ही प्रयोग करना उत्तम माना गया है |
- पूजा -पाठ के दौरान दीपक कभी भी भुजना नहीं चाहिए, शास्त्रों में यह एक बड़ा अपशगुन माना गया है |
- पूजा-पाठ के समय गूग्गल युक्त धुपबत्ती का प्रयोग करें | गूग्गल घर के वातावरण को शुद्ध और घर से नकारात्मक व बुरी चीजों को दूर करती है |
- रात्रि को सोते समय पूजा स्थल को लाल पर्दे द्वारा ढक दे व सुबह होने पर पर्दे हटा दे |
घर के पूजा स्थल में पूजा करने की सरल विधि :-
हिन्दू धर्म में शास्त्रवत पूजा का विधान बहुत ही बड़ा है जिसके लिए पर्याप्त समय निकालना सभी के लिए मुश्किल है | इसीलिए यहाँ हम आपको पूजा की संशिप्त व सरल विधि के विषय में जानकारी देने वाले है |
- पूजा-पाठ के लिए एक निश्चित समय का चुनाव कर प्रतिदिन उसी समय पर पूजा-पाठ करने का प्रयास करें | यदि संभव हो सके तो अपनी पूजा पाठ का समय सवा के समय जैसे ( 6.15 am , 7.15 am , 8.15 am , 9.15 am ) इस प्रकार रखे |
- आसन बिछाकर , शांत मन के साथ बैठ जाये | घी का दीपक व दूप प्रज्वल्लित करें |
- पूजा के समय सर्वप्रथम गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा गणेश जी का आव्हान करें |
- गणेश जी के आव्हान के बाद अपने ईष्ट देव के स्तुति मंत्र द्वारा उनका ध्यान करें , तत्पश्चात आप अपने ईष्ट देव के मंत्र जप व पाठ आदि करें |
- अंत में अपने ईष्ट देव या देवी की आरती करें |
- अब एक मिनट के लिए परमपिता परमेश्वर का ध्यान करें और जमीन से सिर स्पर्श करते हुए भगवान को प्रणाम करें और खड़े हो जाये |
- अब अपने घर में स्वर्गीय बुजुर्गो की फोटो के पास जाकर उन्हें प्रणाम करें व अपने माता -पिता के पैर छुए |
घर में विशेष पाठ-पूजा के समय पूजा करने की सरल विधि जानने के लिए इस post को पढ़े : जानिए, मंत्र सिद्धि व पूजा -पाठ के समय पूजा करने की सरल विधि |
उपरोक्त दिए गये नियमों के अनुसार अपने घर के पूजा स्थल(Ghar me Pooja Path ka Sthan ) को सुसज्जित करें | व अशुभ वस्तुओं को आज ही अपने पूजा स्थल से हटा दे | इस प्रकार घर में पूजा स्थल की स्थापना कर पूजा-पाठ करने से आप पूजा-पाठ का सम्पूर्ण फल प्राप्त करते है | देव कृपा आपके घर पर सदैव बनी रहती है | नियमानुसार घर में पूजा-पाठ करने से घर से नकारात्मक शक्तियों दूर होती है व घर में सुख -शांति का वातावरण बनता है | ⇒ भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में क्यों पूजा जाता है ?