आपने पिछले कुछ वर्षो में गिलोय के विषय में काफी सुना होगा | आपमें से बहुत से लोग तो गिलोय के पौधे को अपने घर पर भी रखते है | पिछले कुछ वर्षो में बाबा रामदेव के सफल प्रयासों से एलोवेरा व गिलोय के चमत्कारिक फायदे आम लोगों तक पहूँच पाए है | गिलोय एक बेल के रूप में होती है | इसके पत्ते पान के आकार में बड़े होते है | गिलोय/Giloy ke Fayde में पाए जाने वाले चमत्कारिक गुणों के कारण इसे महा औषधि भी माना गया है |
गिलोय की बेल किसी भी अन्य पेड़ का सहारा लेकर उसके तनों के सहारे फैलने लगती है | पेड़ की प्रकृति के अनुसार ही गिलोय अपने गुण भी बदलती है | इसलिए नीम के पेड़ से लगी गिलोय सबसे प्रभावी मानी गयी है | इसके अतिरिक्त पहाड़ी क्षेत्र जहाँ वातावरण साफ़ और स्वच्छ होता है वहाँ की गिलोय सामान्य जगहों की अपेक्षा अधिक गुणकारी मानी गयी है | किन्तु आप गिलोय की बेल को अपने घर में गमलों आदि में लगाकर भी इसे प्रयोग में ला सकते है |
गिलोय की तासीर कैसी होती है :
गिलोय की तासीर आयुर्वेद के अनुसार गर्म होती है | इसलिए गर्मियों के मौसम में इस औषधि का प्रयोग कम करें या किसी चिकित्सक की देख-रेख में करें |
अन्य भाषाओँ में गिलोय के नाम :
- हिन्दी भाषा में गिलोय को गडुची, गिलोय व अमृता के नाम से जाना जाता है |
- English भाषा में Giloy को Indian tinospora , Moon seed और Tinospora कहा गया है |
- संस्कृत भाषा में गिलोय को : अमृतलता , अमृतवल्ली , तत्रिका , वत्सादनी और छिन्ना कहा जाता है |
- गुजरती में इसे गुलवेल व गालो कहते है |
- तमिल में इसे अमृदवल्ली व शिन्दिलकोडि |
- पंजाबी में इसे गिलोगुलरिच , गरहम व पालो कहते है |
आयुर्वेद में गिलोय के प्रयोग :
आयुर्वेद में गिलोय(Giloy ke Fayde)का प्रयोग अनेक व्याधियां दूर करने में किया जाता है | इस औषधि का प्रयोग पूर्णतः सुरक्षित माना गया है व अन्य औषधियों की तुलना में यह अधिक प्रभावी सिद्ध होती है | मुख्य रूप से आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग हर प्रकार के बुखार जैसे : डेंगू -चिकनगुनियाँ व फ्लू और सर्दी-खांसी और जुकाम आदि में किया जाता है | इनके अतिरिक्त शरीर का Immune System बढ़ाने में गिलोय प्रभावी है | गिलोय में anti inflammatory, antipyretic व analgesic जैसे गुण भी होते है |
Giloy ke Fayde
गिलोय के फायदे :
- सभी प्रकार के बुखार को ठीक करने में गिलोय का प्रयोग किया जाता है |
- सर्दी -खांसी व जुकाम जैसे रोगों की यह चमत्कारी औषधि है |
- डेंगू जैसे बुखार में प्लेटलेट्स बढ़ाने में यह बहुत ही प्रभावी औषधि है |
- गठियाँ रोग के उपचार में गिलोय का प्रयोग किया गया है | जोड़ो के दर्द में रोगी को गिलोय के प्रयोग से राहत मिलती है |
- शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता गिलोय के प्रयोग से मजबूत बनती है |
- शरीर से ख़ून की कमी दूर करने में गिलोय गुणकारी है | इसके साथ ही यह खून साफ़ करने का कार्य भी करती है |
- पीलिया रोग में भी गिलोय का प्रयोग गुणकारी माना गया है |
- बवासीर रोग में यह फायदा पहुँचाती है |
- गिलोय के प्रयोग से कब्ज दूर होती है | इसलिए कब्ज के रोगी इसके प्रयोग से लाभ प्राप्त कर सकते है |
- पाचन तंत्र से जुड़ी अन्य बीमारियाँ भी गिलोय के प्रयोग से दूर होती है |
- अच्छे चिकित्सक अपने experience (अनुभव) के आधार पर इसका प्रयोग और भी अन्य रोगों के उपचार में लेते है | जैसे : कान के दर्द में , हाथ-पैरो की जलन में , डायबीटीज रोग में व लीवर रोग आदि |
गिलोय सेवन मात्रा :
गिलोय को आप काढ़े के रूप में या रस के रूप में सेवन कर सकते है |
काढ़े के रूप में 20 से 30 ml प्रतिदिन |
रस के रूप में 20 ml तक प्रतिदिन |
विभिन्न रोगों में गिलोय के प्रयोग :-
गिलोय एक उपयोगी घरेलु औषधि है जिसके प्रयोग से पहले इसके प्रयोग की सही मात्रा का ज्ञान होना आवश्यक है | विभिन्न रोगों के उपचार में गिलोय का प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रकार से किया जाता है |
Giloy ke Fayde
लीवर रोग के उपचार में गिलोय का प्रयोग :
17 ग्राम ताजा गिलोय + 2 नग छोटी पीपल + 2 ग्राम अजमोद और 2 नग नीम इन सब को मिलाकर सेक ले | अब इन सबको अच्छे से मसलकर 250 मिली जल मिलाकर एक मिट्टी के गढ़े में रख दे | सुबह इसे पीसकर और छानकर रोगी को पिला दे | 20 से 30 दिनों तक इस पेय का सेवन करने से लीवर रोग व अन्य पाचन विकार दूर होते है |
बुखार में गिलोय का सेवन इस प्रकार करें :
बुखार दूर करने में गिलोय का प्रयोग – गिलोय को सुखाकर उसके पाउडर के रूप में , काढ़े के रूप में या रस के रूप में किया जाना चाहिए | गिलोय के पत्ते व तने को सुखाकर उसका पाउडर बना ले | अब इस पाउडर का प्रयोग आप काढ़ा या रस बनाने में कर सकते है | आप बाजार में निर्मित गिलोय की गोलियों का सेवन भी कर सकते है | बुखार रोग में एक दिन में एक ग्राम गिलोय से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए |
पीलिया रोग के उपचार में गिलोय का प्रयोग : पीलिया रोग के उपचार में आप गिलोय के पत्तों को पीसकर शहद के साथ रोगी को सेवन कराये(Giloy ke Fayde) |
गठियाँ रोग दूर करने में गिलोय का प्रयोग :
जो रोगी गठियाँ से परेशान है या फिर जोड़ों के दर्द से पीड़ित है वे गिलोय के 5 से 10 ml रस का प्रयोग सुबह व शाम दोनों समय करें | चूर्ण के रूप में 3 से 6 ग्राम गिलोय का सेवन करना चाहिए | यदि आप काढ़ा का सेवन करते है तो 20 से 30 ml का प्रयोग करें | काढ़े में थोड़ी सौंठ मिलाकर सेवन करने से गठियाँ में अवश्य लाभ मिलता है |
मधुमेय रोग के उपचार में गिलोय का प्रयोग :
मधुमेय एक निरंतर चलने वाला रोग है | इस रोग में रोगी शुगर लेवल को कण्ट्रोल करके एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है | मधुमेय रोग में गिलोय के प्रयोग से रक्त में शुगर लेवल नियंत्रित रहता है | शरीर से मोटापा दूर होता है | शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ता है(Giloy ke Fayde) | शरीर का ब्लड प्रेसर नियंत्रित रहता है | शुगर रोगी गिलोय के प्रयोग से स्वयं को स्वस्थ रखने में सक्षम होते है |
सर्दी-खांसी व जुकाम में गिलोय का प्रयोग :
सर्दी-खांसी व जुकाम की यह अचूक औषधि है | पुरानी खांसी व जुकाम में भी यह औषधि प्रभावी है | इस रोग में आप काढ़े के रूप में 20 से 25 ml का प्रयोग करें |
गिलोय के नुकसान :
वैसे तो गिलोय एक अमृत समान औषधि है जिसके अनेकों लाभ है | जिस औषधि में इतने गुण होते है उसमें कुछ अवगुण भी है :
- जिन लोगों का शुगर लेवल कम रहता है उन्हें गिलोय का प्रयोग नहीं करना चाहिए | क्योंकि इसके प्रयोग से शुगर लेवल कम होता है |
- पाचन सम्बन्धी विकारों में इस औषधि का सेवन बड़ी ही सावधानी से करें | क्योंकि कभी-कभी कब्ज -अपच या पेट में जलन जैसी समस्याएँ गिलोय के प्रयोग से होने लगती है |
- गर्भवती महिलायों को इस औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए |
- भयंकर गर्मी के दिनों में गिलोय के प्रयोग से आप discomfort महसूस कर सकते है |
- गिलोय का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है |
गिलोय को बुखार – मधुमेय – गठियाँ व सर्दी-खांसी-जुकाम में अधिक प्रयोग किया जाता है | गिलोय के फायदे बहुत है किन्तु जिन लोगों को आधुनिक दवाई की आदत लग गयी हो ऐसे लोग 10 से 15 मिनट में लाभ की अभिलाषा रखते है | रोगी को गिलोय से लाभ/Giloy ke Fayde अवश्य मिलेगा यदि वह धैर्य और विश्वास के साथ इस औषधि का सेवन करें |