Mantra Sadhna Ke Niyam | मंत्र साधना के आवश्यक नियम

By | February 22, 2018

शास्त्रों में मंत्र साधना द्वारा द्वारा ईष्ट देव से सिद्धि प्राप्त करने का वर्णन मिलता है | अनादि काल से हमारे ऋषि-मुनियों ने विभिन्न साधनाओं में सफलता प्राप्त कर मानव कल्याण किया है | शास्त्रों में वर्णित सभी मंत्र अपने अन्दर असीमित शक्तियों को समाये हुए है | इन शक्तियों का अहसास केवल वे जातक कर पाते है जो विधिवत साधना द्वारा इनमें सिद्धि अर्जित करते है | साधना के समय शास्त्रों में वर्णित नियमों का पालन करना अति अनिवार्य है अन्यथा कभी-कभी साधना से फल की प्राप्ति होना तो दूर, विपरीत परिणाम भी सामने आने लगते है | आइये जानते है साधना/Mantra Sadhna ke Niyam के समय किन-किन नियमों का पालन करना जरुरी है

mantra sadhna ke niyam

 

साधना के लिए स्थान का चुनाव : –

साधना के लिए एकांत स्थान का चुनाव करना चाहिए जिससे कि आपकी पूजा अथवा साधना में किसी प्रकार का व्यवधान न उपस्थित हो | केवल मंत्र जप संख्या पूर्ण करना ही आवश्यक नहीं बल्कि एकाग्र होकर पूजन संपन्न हो , यह आवश्यक है | जप का स्थान शुद्ध हो, शांतिमय हो | शास्त्रों में पवित्र नदियों के तट, पर्वत , जंगल , तीर्थ स्थल , गुफाओं आदि की प्राथमिकता दी है | क्योंकि ऐसे स्थाओं पर मन स्वतः ही एकाग्र होने लगता है | घर के एकांत कमरे को शुद्ध-स्वच्छ बनाकर पूजा-साधना -अनुष्ठान किया जा सकता है |

Mantra Sadhna ke Niyam :- 

मंत्र साधना के आवश्यक नियम :-

  • तन की शुद्धि के लिए स्नान आवश्यक है | स्नान से शरीर को शीतलता प्राप्त होती | जिसका मन पर भी प्रभाव पड़ता है | पूजा-आराधना,साधना आदि पुण्य कार्य आरम्भ करने से पूर्व स्नान अवश्य करें | यदि शरीर में किसी प्रकार की विवशता हो तो हाथ मुंह धोकर या गीले कपड़े से पूरे शरीर को पौंछ्कर भी साधना आरंभ की जा सकती है | शरीर पर एक अधोवस्त्र तथा दूसरा उपवस्त्र धारण करें | शरद ऋतू में गरम वस्त्र का उपयोग किया जा सकता है |
  • साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करना चाहिए ( Mantra Sadhna ke Niyam) |
  • बैठने के लिए आसन का विशेष ध्यान रखना चाहिए | साधना में पालथी मारकर बैठे और मेरुदंड को सीधा रखे |
  • कुशासन, रेशमी आसन, ऊनी , म्रगचर्म अथवा व्याघ्र चर्म आदि में से साधना के अनुकूल आसन का प्रयोग करें |
  • शिव-उपासना में रुद्राक्ष की माला , लक्ष्मी उपासना में कमल गट्टे की माला, तांत्रिक प्रयोग में सर्प की हड्डी की माला, बगलामुखी उपासना में हल्दी की माला का उपयोग करना चाहिए | जप कार्य माला से किया जाना चाहिए | प्रातः काल पूर्व की ओर तथा सांयकाल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करना चाहिए | कुछ विशिष्ट साधनाओं में साधनानुसार दिशा का विचार किया जाना चाहिए | ब्रह्म मुहूर्त में साधना उत्तम मानी गयी है |
  • साधना सदैव एक निश्चित स्थान पर करनी चाहिए | स्थान शुद्ध एवं स्वच्छ हो | स्थान में बदलाव न करें |
  • माला जप करते समय सुमेरु का उलंघन नहीं करना चाहिए अर्थात जप करते समय सुमेरु तक पहुंचे फिर वहाँ से माला को उल्टा कर देना चाहिए |
  • 108 मानकों वाली जप माला का उपयोग करना उत्तम होता है |
  • मंत्र जप के समय माला को गोमुखी में रखना चाहिए |
  • जप करते समय झूमना, पैर हिलाना आदि वर्जित माना जाता है |
  • जप के समय लौंग , इलायची, पान या अन्य किसी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें इससे एकाग्रता भंग होती है तथा ये निषिद्ध और दोषपूर्ण माने गये है |
  • जप करते समय मन को निर्मल एवं निष्कपट रखें |
  • पूजा आराधना करते समय पुष्पों का आभाव हो तो मानसिक पुष्प अपने ईष्ट(जिस देव की आप साधना कर रहे है ) को अर्पित करें |
  • जप के समय कंठ से ध्वनि होनी चाहिए , होंठ भी हिलने चाहिए किन्तु कंठ ध्वनि ऐसी हो की निकट बैठे व्यक्ति को सुनाई न दे |
  • पूजा से बचे पदार्थों को एकत्रित करके नदी में ले जाकर प्रवाहित करना चाहिए |
  • साधना किसी योग्य गुरु के निर्देशन में ही करनी चाहिए |
  • साधना काल में मल-मूल विसर्जन की विवशता होने पर पुनः हाथ-पैर , मुँह आदि धोकर ही बैठे और एक माला प्रायश्चित की फेरें |
  • प्रातः काल जप करते समय माला नाभि के सामने, दोपहर को ह्रदय के सामने और सांयकाल मस्तक के सामने होनी चाहिए |
  • साधना या मंत्र जप(Mantra Sadhna ke Niyam) के समय दिशा का अवश्य ध्यान रखें |

सम्बंधित जानकारियाँ :-

साधना को उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए व मन में द्रढ़ निश्चय के साथ शुरू करना चाहिए | मन में किसी प्रकार के नकारात्मक भाव न रखे जैसे : साधना में असफलता के भाव | अपने ईष्ट देव के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव के साथ अपनी साधना/Mantra Sadhna ke Niyam को सम्पूर्ण करना चाहिए |

 

2 thoughts on “Mantra Sadhna Ke Niyam | मंत्र साधना के आवश्यक नियम

  1. Anurag Mishra

    Namaskar Guruji,
    Mera Naam Anurag hai. Mai Kamakshi Devi ka Vashikaran Mantra siddha karna chahta hu…kripya mujhko iska poora tareeka bataye. Mere pass mantra hai or kamal gatte ki mala bhi. Pehle bhi mai koshish kar chuka hu lekin safalta nahi mili. Mujhko bataye kis din se shuru kar sakte or kitna jaap karna hota hai..Poori vidhi ek baar bataye guru ji.

    Dhanyawaad.

  2. Swati satasubhra

    Guruji mein Apsara sidh karna chahta hoon. Isliye jo surakhya ghera hota hai jaise kal Bhairav kavach , to iss mantra Ko dekh kar padh ke surakhya ghera diya Jaa Sakta hai ya nahin ?? Please bataiye .

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