वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर किस दिशा में होना चाहिए ?

By | July 9, 2020

जो जातक ज्योतिष में विश्वास रखते है वे वास्तु शास्त्र के विषय में भी अवश्य अवगत होंगे | वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भवन का निर्माण उसे न केवल सुन्दर व आकर्षित बनाता है बल्कि ऐसे भवन में सकारात्मक उर्जा का वास होता है | वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्मित भवन में सुख-शांति के साथ-साथ लक्ष्मी जी का वास सदैव बना रहता है | वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्मित किये जाने वाले घर में पूजा स्थान की सबसे प्रमुख भूमिका होती है |

जिस घर में पूजा स्थान को वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया जाता है वहाँ देवों की कृपा सदैव बनी रहती है | पित्र देवों का वास होता है | नकारात्मक शक्तियाँ ऐसे घर से दूर रहती है |

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की सही दिशा :

वास्तु के अनुसार घर का निर्माण शुरू करते समय, शुरुआत ईशान कोण से होती है | ईशान कोण धार्मिक द्रष्टि से और ज्योतिष द्रष्टि से बहुत ही शुभ व सकारात्मक उर्जा का संचार करने वाली दिशा है | ईशान कोण,  उत्तर-पूर्व के मध्य की दिशा को कहते है | ईशान कोण में पूजा घर की स्थापना करना वास्तु के अनुसार सबसे शुभ है |

vastu ke anusar puja ghar

यदि आपके घर की संरचना कुछ इस प्रकार की है जिसमें आप ईशान कोण में पूजा घर की स्थापना नहीं कर पा रहे है तो कोशिश करें – पूजा घर को पूर्व दिशा में स्थापित करने की | ईशान कोण के बाद पूर्व दिशा में पूजा का स्थान दूसरा विकल्प हो सकता है | यह दिशा भी धार्मिक द्रष्टि से बहुत शुभ और मंगलकारी है |

यदि आप पूर्व दिशा की तरफ पूजा घर  स्थापित करते है तो इस स्थिति में ईशान कोण के महत्व को अनदेखा नहीं करना चाहिए | ईशान कोण को साफ़ व स्वच्छ रखे | ईशान कोण में भूलकर भी गंदगी न रहने दे | पूजा घर स्थापित करने के उपरांत पूजा घर के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए : पूजा स्थान के नियम |

घर में एक ही पूजा का स्थान रखे | पूजा घर  सदैव साफ़ और स्वच्छ रखे | पूजा घर को धरातल से थोड़ा ऊपर रखे | पूजा के स्थान में प्रतिदिन धुप व दीप लगाकर अपने ईष्ट का ध्यान अवश्य किया करें |