10 दिशाओं के नाम व उनके स्वामी देव

By | February 26, 2022

एक मनुष्य जब भी चलता है या कही भी जाता है तो वह किसी न किसी दिशा की तरफ जा रहा होता है | ऐसा कभी नहीं होगा कि मनुष्य चल भी रहा है और वह किसी भी दिशा की तरफ नहीं जा रहा | मुख्य रूप से 4 दिशाओं का विवरण मिलता है और जिन्हें सभी व्यक्ति अवश्य जानते होंगे उत्तर -पूर्व , दक्षिण व पश्चिम | किन्तु हिन्दू धरम के अनुसार 10 दिशाओं का विवरण मिलता है | इनके विषय में आगे चलकर चर्चा करेंगे |

सभी दिशाए मनुष्य का मार्गदर्शन करती है | जब भी हम कहीं जा रहे होते है तो या तो हम सही दिश में जा रहे होंगे या फिर गलत दिशा में | गलत दिशा में जाने पर हम दिशाहीन हो जाते है अपने पथ से विचलित हो जाते है |

आइये जानते है 10 दिशाए कौन -कौन सी है व उनके स्वामी देव कौन है :

10 दिशा नाम

10 दिशाओं के नाम व स्वामी देव :

  1. उर्ध्व दिशा : उर्ध्व दिशा के स्वामी देव ब्रह्मा जी है | यह दिशा आकाश है | इस दिशा को सबसे अधिक महत्व दिया गया है | आकाश में हम परब्रहम को देखते है | यदि आप उर्ध्व मुख करके प्रार्थना करते है तो आपकी प्रार्थना शीघ्र ही स्वीकार होती है |
  2. ईशान दिशा : पूर्व दिशा व उत्तर दिशा के मध्य भाग को ईशान दिशा कहा गया है | इसे ईशान कोण भी कहते है | इस दिशा में सभी देवों का वास माना गया है | यह दिशा घर में पूजन हेतु व घर में पूजा स्थल बनाने हेतु श्रेष्ठ मानी गयी है | घर के ईशान कोण वाली जगह को हमेशा साफ़सुथरा रखना चाहिए |
  3. पूर्व दिशा : सूर्य के उदय होने वाली दिशा पूर्व दिशा कहलाती है | ईशान कोण के बाद कोई दिशा यदि पूजा व देव स्थापना के लिए श्रेष्ट है तो यह पूर्व दिशा ही है | इस दिशा के देवता इंद्र और स्वामी सूर्य हैं। पूर्व दिशा पितृस्थान का द्योतक है।
  4. आग्नेय दिशा : पूर्व दिशा व दक्षिण दिशा के मध्य भाग को ही आग्नेय दिशा माना गया है | इस दिशा के स्वामी देव अग्नि देव है | शुक्र गृह को आग्नेय दिशा से जोड़कर देखा जाता है |
  5. दक्षिण दिशा : उत्तर दिशा के विपरीत दक्षिण दिशा मानी गयी है , दक्षिण दिशा के अधिपति देव यमराज को माना गया है | दक्षिण दिशा को देव स्थापना के लिए शुभ नहीं माना गया है | इसलिए घर का पूजा स्थल कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए |
  6. नैऋत्य दिशा : दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य के स्थान को नैऋत्य कहा गया है। यह दिशा नैऋत देव के आधिपत्य में है। इस दिशा के स्वामी राहु और केतु हैं।
  7. पश्चिम दिशा : पश्चिम दिशा के देवता, वरुण देवता हैं और शनि ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं। यह दिशा प्रसिद्धि, भाग्य और ख्याति की प्रतीक है। इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होना चाहिए।
  8. वायव्य दिशा : – उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य में वायव्य दिशा का स्थान है। इस दिशा के देव वायुदेव हैं और इस दिशा में वायु तत्व की प्रधानता रहती है।
  9. उत्तर दिशा :उत्तर दिशा के अधिपति हैं रावण के भाई कुबेर। कुबेर को धन का देवता भी कहा जाता है। बुध ग्रह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। उत्तर दिशा को मातृ स्थान भी कहा गया है।
  10. अधो दिशा : अधो दिशा के देवता हैं शेषनाग जिन्हें अनंत भी कहते हैं। घर के निर्माण के पूर्व धरती की वास्तु शांति की जाती है। अच्छी ऊर्जा वाली धरती का चयन किया जाना चाहिए। घर का तलघर, गुप्त रास्ते, कुआं, हौद आदि इस दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं।