भैरव का अर्थ है भय का नाश करने वाला ! जब किसी भी अन्य साधनों के द्वारा मनुष्य का जीवन सुखमय नहीं हो, तब भैरव को प्रसन्न करने पर उसे चमत्कारी फल मिलने लगता है | शत्रुओं के भय का नाम भैरव है | परन्तु आपने देखा होगा भैरव के साथ में एक काला कुकुर(Bhairav ki Sawari Kala Kutta) सदैव नजर आता है | क्या है इसका कारण ?
हमारे धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण से हर देव की अपनी सवारी होती है | जिसे उनका वाहन कहा जाता है और हमारे इन ग्रंथों के हिसाब से भैरव का वाहन है कुकुर(कुत्ता) | भैरव वाहन पर बैठे तो कभी दिखाई नहीं दिए, परन्तु उनके साथ में एक काला कुकुर अवश्य दिखाई देगा, आइये जानते है इसके पीछे क्या कारण है |
हर देव अपना ऐसा वाहन चाहता है जिसके साथ उसका अपना संतुलन बना रहे जैसे कुकुर एक ऐसा जीव है जो शत्रुओं से भय नहीं मानता, रात का अँधेरा हो या दिन का उजाला, अपनी सीमा में किसी को प्रवेश नहीं करने देता, कोई भी शत्रु जितना अधिक बल प्रयोग करेगा, उतना ही उग्र रूप धारण कर कुकुर उसका सामना करेगा | कुकुर(कुत्ता) अपने शत्रु को कभी नहीं भूलता | सालों पहले भी अपने ऊपर किये गये शत्रु के वार को वह हमेशा याद रखता है और अवसर मिलते ही वह अपना बदला ले लेता है | कुकुर को भय से नहीं केवल और केवल प्रेम से ही अपना बनाया जा सकता है |
Bhairav ki Sawari Kala Kutta
कुकुर हर समय जागरूक रहता है, सोते समय भी उसकी निद्रा आस पास में होने वाली हर आहट पर नजर रखती है | जरा सा खतरा होने पर वह तुरंत सचेत हो जाता है | कुकुर अपने मालिक के प्रति पूर्ण वफादार रहता है अपने प्राण रहते अपने मालिक पर कोई भी आंच नहीं आने देता | कुकुर की घ्राण शक्ति अति तीव्र होती है | किसी भी होने वाली घटना का यह पूर्वानुमान कर लेती है और इसी शक्ति के कारण कुकुर सदैव सतर्क रहता है |
इन सभी गुणों के कारण भैरव ने चुना अपना वाहन कुकुर | परन्तु काले कुकुर को ही भैरव ने अपनी सवारी के रूप में क्यों चुना ? काला रंग सुद्रढ़ता एवं परिपक्वता की निशानी है, काला रंग रंगों में सबसे अलग पहचान रखता है | यह हर रंगों को अपने नीचे दबा लेता है | काले रंग वाले प्राणी का ह्रदय बड़ा मजबूत होता है | इसलिए ही भैरव ने काले रंग का कुकुर अपनी सवारी के रूप में चुना |
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यदि आप भैरव की पूजा-आराधना करने के साथ-साथ किसी काले कुत्ते को दूध के साथ जलेबी, इमरती या मालपुआ खिलाते है तो भैरव अति प्रसन्न होते है | वैसे यह प्रथा सदियों से चली आती है, जब विशेष अवसर पर गाय, कुकुर व कव्वे के लिए सबसे प्रथम खाना निकाला जाता है काले कुकुर/(Bhairav ki Sawari Kala Kutta) को शनिवार के दिन प्रिय भोजन खिलाने पर केवल भैरव ही नहीं – शनि, राहु और केतु भी प्रसन्न होते है |