पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित यह मंदिर माँ काली को समर्पित है | लोगों की अवधारणा के अनुसार सम्पूर्ण बंगाल को माँ काली का सबसे प्रिय प्रदेश कहा जाता है | दक्षिणेश्वर काली मंदिर माँ काली का भव्य धाम है | यूँ तो पूरे भारत में माँ काली के हजारों मंदिर होंगे किन्तु दक्षिणेश्वर मंदिर का मान्यता सबसे अधिक है | इस मंदिर(Maa Kali Siddh Mandir) के पास विशेष आकर्षण का केंद्र पवित्र गंगा नदी है जिसके किनारे यह मंदिर बना हुआ है | बंगाल में गंगा नदी को हुगली नदी के नाम से जाना जाता है | बंगालियों के लिए यह आध्यात्म का प्रमुख केंद्र माना गया है |
स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस माँ काली के परम भक्त थे | उन्होंने इसी स्थान पर बैठकर माँ काली की साधना की थी | कुछ लोगों द्वारा ऐसा भी सुना है कि माँ काली ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस को साक्षात् दर्शन दिए थे | दक्षिणेश्वर काली मंदिर में ही एक स्थान पर स्वामी रामकृष्ण परमहंस का कमरा बना हुआ है जहाँ उनका पलंग और कुछ स्मृति चिन्ह सुरक्षित रखे है |
इस मंदिर में कुल 12 गुंबद है मंदिर के सभी ओर भगवान शिव की 12 प्रतिमाएं स्थित है | इसके साथ-साथ मंदिर में और भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित है | मंदिर का वह भाग जहाँ माँ काली की प्रतिमा स्थापित है चांदी द्वारा एक कमल के फूल के रूप में बना हुआ है जिसकी 1000 पंखुडियां है जिन पर माँ काली भगवान शिव के ऊपर हाथ में अस्त्र-शस्त्र लिए खड़ी है |
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Maa Kali Siddh Mandir
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की कहानी :-
एक समय की बात है जब कोलकाता में रानी रासमणि माँ काली की बहुत बड़ी भक्त थी | कोलकाता में माँ काली का सिद्ध स्थान न होने के कारण रानी समुद्र के रास्ते काशी में माँ काली के मंदिर में दर्शन करने जाया करती थी | एक दिन माँ काली ने प्रसन्न होकर उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और उनका मंदिर कोलकता में ही बनाने को कहा | माँ काली की आज्ञा अनुसार रानी रासमणि ने 1845 में माँ काली मंदिर को बनवाने का कार्य प्रारंभ किया जो की 1855 में जाकर पूर्ण हुआ | इस प्रकार माँ काली के आदेश अनुसार इस मंदिर(Maa Kali Siddh Mandir) का निर्माण हुआ और माँ काली के सिद्ध धाम के नाम से भी प्रसिद्द हुआ |