मंगल दोष निवारण हेतु online अनुष्टान

By | December 21, 2021

किसी भी स्त्री या पुरुष के मांगलिक होने का मतलब यह है कि उसकी कुण्डली में मंगल ग्रह अपनी प्रभावी स्थिति में है। हिन्दू ज्योतिष परम्पराओं के अनुसार यदि कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो जातक को मंगल दोष लगता है। वैसे सामान्य रूप से इन सब में से केवल 8वां और 12वां भाव ही खराब माना जाता है।

क्या है मंगल दोष / मांगलिक दोष ?

विवाह में बाधा व कठिन वैवाहिक जीवन मांगलिक दोष के लक्षण हैं मांगलिक दोष एक ऐसा दोष है, जिसे किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दोष की वजह से दाम्पत्य जीवन में कलह, परेशानी, तनाव, तलाक आदि होने की संभावना रहती है। इसे जन्म पत्रिका में कुज दोष या मंगल दोष भी कहा गया है।

अल्टीमेट ज्ञान ज्योतिष केंद्र में सभी प्रकार की ऑनलाइन पूजा व अनुष्ठान आदि ऑनलाइन/Online आचार्य S N शर्मा के मार्गदर्शन में किये जाते है | अल्टीमेट ज्ञान ज्योतिष केंद्र अपनी सच्ची व भावपूर्ण सेवाओं के साथ सदैव आपके लिए समर्पित है |

मंगल दोष निवारण हेतु ऑनलाइन पूजा/अनुष्ठान 3 दिन की होती है जिसमें आपसे ऑनलाइन संकल्प लेकर प्रतिदिन पूजा व मंत्र जप किये जाते है | अनुष्ठान के अंतिम दिन यज्ञ किया जाता है | यज्ञ की विभूति और सिद्ध मंगल यंत्र को बाद में आपके address पर speed post के द्वारा भेजा जायेगा | WhatsApp संपर्क नंबर : 9671528510

Mangal Dosha Online  Anushthan

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मांगलिक दोष के प्रकार  

उच्च मंगल दोष – यदि मंगल ग्रह किसी जातक के जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली में 1, 4, 7, 8वें या 12वें भाव में होता है, तो इसे “उच्च मांगलिक दोष” माना जाएगा। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

निम्न मंगल दोष – यदि मंगल ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली, लग्न/ चंद्र कुंडली में से किसी एक में भी 1, 4, 7, 8वें या 12वें स्थान पर होता है, तो इसे “निम्न मांगलिक दोष” या “आंशिक मांगलिक दोष” माना जाएगा। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 28 वर्ष की आयु होने के बाद यह दोष अपने आप आपकी कुंडली से समाप्त होना मानते हैं।