साक्षात् भगवान शिव के रूद्र रूप कहे जाने वाले रुद्राक्ष की उत्त्पति भगवान शिव की आँखों से निकले आंसुओं से हुई | पुराणों में ऐसा वर्णन है कि लम्बे समय तक साधना में लीन भगवान शिव ने जैसे ही अपनी आँखे खोली उनकी आँख से कुछ आंसू पृथ्वी पर आ गिरे | पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ भगवान शिव के आंसू गिरे वहाँ रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई | इन पेड़ों पर लगने वाले फल के बीज ही रुद्राक्ष कहलाते है | शास्त्रों में वर्णित विधि अनुसार रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक पर सदैव भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है | किन्तु शास्त्रों में वर्णित रुद्राक्ष धारण करने के नियमों(Rudraksh Pahane Ke Niyam) का हमेशा पालन करना चाहिए अन्यथा आप रुद्राक्ष के चमत्कारिक परिणामों से हमेशा-हमेशा के लिए वंचित होने लगते है |
रुद्राक्ष धारण करने की विधि :-
आज के समय में बहुत से लोग एक दुसरे को देखकर ही रुद्राक्ष धारण करने का मन बना लेते है व बाजार से रुद्राक्ष लेकर सीधे गले में धारण कर लेते है | ऐसे लोगों के लिए रुद्राक्ष केवल और केवल वस्तु का कार्य करता है जिससे जातक को रुद्राक्ष के वैज्ञानिक लाभ तो मिलते है किन्तु अध्यात्मिक लाभ नहीं मिल पाते | आइये जानते है रुद्राक्ष को धारण करने की विधि के विषय में : –
एक से लेकर 14 मुखी तक रुद्राक्ष तक आप गले में धारण कर सकते है | ये सभी रुद्राक्ष अध्यात्मिक द्रष्टि से अलग-अलग प्रभाव रखते है : – एक से लेकर 14 मुखी तक रुद्राक्ष के विषय में सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप इस post को अवश्य पढ़े : – 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष की सम्पूर्ण जानकारी
रुद्राक्ष का चुनाव करने के पश्चात् कुछ दिन इसे सरसों के तेल में डालकर रख दे | अब किसी सोमवार के दिन आप रुद्राक्ष को अच्छे से साफ़ करके इसे पहले पंचामृत( दूध,दही,शहद,शक्कर,गंगाजल के मिश्रण) से स्नान कराये फिर गंगा जल से स्नान कराये | अब कुमकुम से तिलक करें | दूप दिखाए व पूजा के स्थान पर दीपक जलाकर ॐ नमः शिवाय मंत्र के यथा संभव जप करें |
इस प्रकार करने के पश्चात् अब आप भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पूजा करें व अंत में रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराते हुए भगवान शिव का ध्यान करें और अब रुद्राक्ष को गले में धारण करें |
Rudraksh Pahane Ke Niyam :
रुद्राक्ष पहनने के नियम :-
विधि अनुसार रुद्राक्ष को धारण(Rudraksh Pahane Ke Niyam) करने के पश्चात् इसकी पवित्रता को बनाये रखना बहुत जरुरी है अन्यथा यह कुछ समय के पश्चात् प्रभावहीन होने लगता है | जो व्यक्ति शराब,मॉस व दुसरे गलत कार्य करते हो उन्हें तो रुद्राक्ष को धारण करना ही नहीं चाहिए अन्यथा ऐसा व्यक्ति पाप का भागी बनता है |
- रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात् समय-समय पर रुद्राक्ष को पंचामृत व गंगाजल द्वारा पवित्र करते रहे | रुद्राक्ष को गंदे हाथों से स्पर्श न करें | पूजा के समय रुद्राक्ष को दूप दिखाए |
- घर में सूतक आदि के समय आये तो इसके तुरंत बाद रुद्राक्ष को पवित्र करना न भूले |
- किसी दाह संस्कार या मृत व्यक्ति के दिनों में जाने के पश्चात् भी रुद्राक्ष को पवित्र करें |
- महिलाएँ रुद्राक्ष को पीरियड्स के दिनों में उतार कर रख दे व बाद में पवित्र करके ही पुनः धारण करें |
- दूसरों का अहित न करें व झूठ न बोले |
- अनैतिक संबंधों से दूर रहे |
- आप जिस रुद्राक्ष को धारण करते है उसे भूलकर भी किसी अन्य व्यक्ति को पहनने के लिए न दे चाहे वह आपके परिवार का ही कोई सदस्य क्यों न हो | किसी दुसरे का पहना हुआ रुद्राक्ष भी गले में धारण नहीं करना चाहिए |
- रुद्राक्ष खरीदने से पहले इसकी शुद्धता की अच्छी प्रकार से जांच कर ले | टूटा हुआ रुद्राक्ष व कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष धारण करने योग्य नहीं होता |
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रुद्राक्ष को सोमवार के दिन, श्रावण मास में किसी भी दिन या शिवरात्रि के दिन धारण करना शुभ माना गया है | रुद्राक्ष को पूर्ण विधि अनुसार धारण करें व इससे सम्बन्धित नियमों/(Rudraksh Pahane Ke Niyam) का पालन करें | पूर्ण विधि अनुसार रुद्राक्ष पहनने से इसके चमत्कारिक परिणाम आप पहले दिन से ही अनुभव करने लगेंगे | भगवान शिव की नित्य पूजा करें | आपके जीवन से हर दुःख, कष्ट शीघ्र ही दूर होने लगेंगे |
yah imformetion bhot achi hei
Jai guru gorakhnath
Om namo aadhesh