आन्ध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में विराजमान श्री तिरुपति बालाजी अपने चमत्कार और आकर्षण से सम्पूर्ण भारत में विख्यात है | बालाजी के दरबार में सच्चे मन से आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते | बालाजी के दर्शन पश्चात् घर पर नियमित रूप से तिरुपति बालाजी की आरती द्वारा उनकी आराधना करने से बालाजी की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है |
तिरुपति बालाजी की आरती
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा
संकट मोचन स्वामी तुम हो रनधीरा ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
पवन पुत्र अंजनी सूत महिमा अति भारी
दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सब हारी ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो
देवन स्तुति किन्ही तुरतहिं छोड़ दियो ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई
अभिमानी बलि मेटयो कीर्ति रही छाई |
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
जारि लंक सिय-सुधि ले आए, वानर हर्षाये
कारज कठिन सुधारे, रघुबर मन भाये ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
रामहि ले अहिरावण, जब पाताल गयो
ताहि मारी प्रभु लाय, जय जयकार भयो ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
राजत मेहंदीपुर में, दर्शन सुखकारी
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी ||
| ॐ जय …………..तुम हो रणधीरा |
श्री बालाजी की आरती, जो कोई नर गावे
कहत इन्द्र हर्षित मनवांछित फल पावे ||
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा
संकट मोचन स्वामी तुम हो रणधीरा ||
मन में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ तिरुपति बालाजी की आरती का गायन करें | तिरुपति बालाजी की आरती का गायन मध्यम और कर्णप्रिय स्वर में करना चाहिए | किसी भी आरती का गायन पूर्ण लयबद्धता के साथ करना चाहिए | आरती पूर्ण होने पर तिरुपति बालाजी के नाम से जयकारे अवश्य लगाये | पूजा के उपरांत अपने ईष्ट देव – कुलदेव – कुलदेवी और ग्राम देव के जयकारे भी लगाने चाहिए |