यह दुनियाँ रंगों से भरी है | प्रकृति ने सभी वस्तुओं को अपना एक अलग रंग दिया है | यह व्यक्तिगत धारणा पर निर्भर करता है कि किस व्यक्ति को कौन सा रंग प्रिय लगता है और कौन सा रंग अप्रिय लगता है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि प्रकृति द्वारा बनाये गये रंगों में कोई भी रंग ख़राब नहीं है | मानव सभ्यता में भिन्न-भिन्न अवसरों पर अलग-अलग रंगों को प्राथमिकता दी गयी है | जैसे शादी विवाह जैसे अवसर पर लाल रंग तो किसी की मृत्यु आदि होने पर सफ़ेद रंग पहना जाता है और धार्मिक कार्यो के लिए , साधू-सन्यासियों के लिए केसरिया(Kesari Rang Ka Mahtav) और पीला रंग का होना |
आज हम विशेष रूप से केसरी रंग के विषय में बात करेंगे | हिन्दू धरम में केसरी रंग को बहुत ही शुभ माना गया है | धार्मिक कार्यों के लिए भी केसरी रंग का चुनाव किया जाता है और साधू-सन्यासी भी केसरिया रंग को ही प्राथमिकता देते है | क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ केसरी रंग ही क्यों , रंग तो सभी शुभ होते है, आइये जानते है |
केसरी रंग(Kesari Rang Ka Mahtav) अग्नि के रंग के समान है | अग्नि जीवन से अज्ञान रुपी अँधेरे को दूर करने का प्रतीक है | जीवन से हर बुराई को दूर करने का प्रतीक है – अग्नि | जीवन में सकारात्मक सोच का संचार करती है -अग्नि | नकारात्मक सोच को दूर करती है- अग्नि | प्रकाश का प्रतीक है – अग्नि | केसरी रंग, अग्नि के रंग के समान ही है | इसलिए केसरी रंग शरीर पर धारण करने से अग्नि तत्व के समान ही हर तरह से सकारात्मकता प्राप्त होती है |
अग्नि को सबसे पवित्र माना गया है | जिस प्रकार अग्नि तत्व में मिलकर सब कुछ पवित्र हो जाता है ठीक उसी प्रकार केसरी रंग भी पवित्रता का प्रतीक है | केसरी रंग के वस्त्र जो भी जातक धारण करते है वे अपने विचार से पवित्र होने लगते है | स्वयं को पवित्र रखकर ही आप स्वयं में सकारातमक सोच को जन्म दे सकते है | साधू सन्यासी केसरी रंग के वस्त्र सिर्फ इसलिए ही नहीं पहनते कि इससे उन्हें एक अलग पहचान मिलती है बल्कि इसलिए भी पहनते है ताकि वे स्वयं को पवित्र रखकर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर हो सके |
प्राचीन समय में ऋषि-मुनि अपने साथ अग्नि लेकर चलते थे यह अग्नि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति और सत्य के मार्ग की ओर अग्रसर करती है | हर समय अग्नि को साथ लेकर जाना संभव नहीं होता था तो ऋषियों ने केसरी रंग के ध्वज को साथ रखना आरम्भ कर दिया | तभी से यह केसरी रंग को साथ रखने व केसरी रंग के वस्त्र पहनने की परम्परा चली आ रही है |
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हिन्दू धरम के अतिरिक्त बौद्ध धर्म में भी भगवान बुद्ध को केसरियां(Kesari Rang Ka Mahtav) रंग के वस्त्र पहने हुए ही दिखाया गया है | बौद्ध धर्म के अनुसार केसरी रंग आत्म त्याग का प्रतीक है | आत्म त्याग से आशय : स्वयं को इस संसार की सभी मोह- माया से विरक्त करना है | सिख धर्म में भी केसरी रंग को महत्व दिया गया है |