कलियुग में भैरव बाबा की उपासना आपके सभी दुखों-कष्टों को दूर करने में फलदायी मानी गयी है | तंत्र शास्त्र में भी भैरव बाबा को प्रमुख माना गया है | यद्यपि सभी भैरव भक्त अपने-अपने श्राद्ध भाव द्वारा भैरव उपासना करते है और उन्हें प्रसन्न करने का यत्न करते है | लेकिन किसी भी देव आराधना में सबसे अधिक महत्व देव के प्रति आपके समर्पण भाव को माना गया है | यदि आपकी अपने देव के प्रति निष्ठा सच्ची है तो आप अपने देव से आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करते है | भैरव उपासना(Bhairav Ke 108 Naam) में भी प्रथम कार्य आपको यही करना है कि उनके प्रति अपने समर्पण भाव को बनाये रखे |
भैरव बाबा के 12 स्वरुप है जिनमें से 8 स्वरुप को उग्र तथा शेष को सौम्य माना गया है | इसके अतरिक्त भैरव के 108 नाम लेकर भी आप उनकी आराधना कर सकते है | भैरव के 108 नाम का प्रतिदिन जप करने से घर से हर प्रकार का अनिष्ट दूर होने लगता है | ऐसे घर से नकारात्मक शक्तियाँ प्रभावहीन होने लगती है(Bhairav Ke 108 Naam) |
Bhairav Ke 108 Naam :-
भैरव के 108 नाम : –
ॐ भैरवाय नमः
ॐ भूतनाथाय नमः
ॐ भूतात्मने नमः
ॐ भूतभावनाय नमः
ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः
ॐ क्षेत्रपालाय नमः
ॐ क्षेत्रदाय नमः
ॐ क्षेत्रियाय नमः
ॐ विराजे नमः
ॐ शमशानवासिने नमः
ॐ मांसाशिने नमः
ॐ खर्वराशिने नमः
ॐ स्मरांतकाय नमः
ॐ रक्तपाय नमः
ॐ पानयाय नमः
ॐ सिद्धाय नमः
ॐ सिद्धिदाय नमः
ॐ सिद्धिसेविताय नमः
ॐ कंकालाय नमः
ॐ कालशमनाय नमः
ॐ कलाकाष्ठाय नमः
ॐ तनये नमः
ॐ शूलपाणये नमः
ॐ खड़गपाणये नमः
ॐ कपालिने नमः
ॐ धूम्रलोचनाय नमः
ॐ अभीरवे नमः
ॐ भैरवीनाथाय नमः
ॐ भूतपाय नमः
ॐ योगिनीपतये नमः
ॐ धनदाय नमः
ॐ धनहारिणे नमः
ॐ धनवते नमः
ॐ प्रीतिवर्धनाय नमः
ॐ नागहाराय नमः
ॐ नागपाशाय नमः
ॐ व्योमकेशाय नमः
ॐ कपालभूते नमः
ॐ कालाय नमः
ॐ कपालमालिने नमः
ॐ कमनीयाय नमः
ॐ कलानिधये नमः
ॐ त्रिलोचनाय नमः
ॐ ज्वलन्नेत्राय नमः
ॐ कविये नमः
ॐ त्रिनेत्राय नमः
ॐ बहुनेत्राय नमः
ॐ पिंगललोचनाय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ शांतजनप्रियाय नमः
ॐ बटुकाय नमः
ॐ बटुवेशाय नमः
ॐ खटवांगधारकाय नमः
ॐ भूताध्यक्षाय नमः
ॐ पशुपतये नमः
ॐ भिक्षुकाय नमः
ॐ परिचारकाय नमः
ॐ धूर्ताय नमः
ॐ दिगम्बराय नमः
ॐ शूराय नमः
ॐ हरिणे नमः
ॐ पांडुलोचनाथ नमः
ॐ प्रशांताय नमः
ॐ बालाय नमः
ॐ बालपराक्रमाय नमः
ॐ सर्वपत्तारणाय नमः
ॐ दुर्गाय नमः
ॐ दुष्ट भूतनिषेविताय नमः
ॐ त्रिशिखने नमः
ॐ त्रिलोकषाय नमः
ॐ त्रिनेत्रपाताय नमः
ॐ डिंभाय नमः
ॐ भूपतये नमः
ॐ भूधरात्मज्ञाय नमः
ॐ कंकालधारिणे नमः
ॐ मुंडिन नमः
ॐ नागयज्ञोपवीतवते नमः
ॐ ज्रभ्भणाय नमः
ॐ मोहनाय नमः
ॐ स्तंभिने नमः
ॐ मरणाय नमः
ॐ क्षोभणाय नमः
ॐ शुद्धनीलांजनप्रख्याय नमः
ॐ दैत्यघ्न्ने नमः
ॐ मुंडभूषिताय नमः
ओ बलिभुजे नमः
ॐ बालि भुडंग नाथाय नमः
ॐ शांतिदाय नमः
ॐ सिद्धाय नमः
ॐ शंकरप्रियबांधवाय नमः
ॐ अष्टमूर्तय नमः
ॐ निधिशाय नमः
ॐ कामिने नमः
ॐ कलानिधये नमः
ॐ कांताय नमः
ॐ कामिनीवशक्रद्धशिने नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ वैद्याय नमः
ॐ प्रभवे नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ ज्ञानचक्षुये नमः
ॐ तपोमदाय नमः
ॐ अष्टधाराय नमः
ॐ षडाधाराय नमः
ॐ सर्पयुक्ताय नमः
ॐ शिखिसखाय नमः
ॐ भूधराय नमः
ॐ भूधराधीशाय नमः
सम्बंधित जानकारियाँ :-
भैरव जी के उपरोक्त 108 नाम(Bhairav Ke 108 Naam) का पाठ आप माला द्वारा भी कर सकते है व बिना माला के भी | दोनों ही प्रकार से यह समान फल प्रदान करने वाला है | बाबा भैरव के उपरोक्त पाठ करने से पूर्व ध्यान लगाकर अपने कार्य सिद्धि हेतु अपनी अरदास लगाये, तत्पश्चात यह पाठ शुरू करें | बाबा भैरव की कृपा से आपका कार्य शीघ्र ही संपन्न होने लगेगा |