वायरल फीवर और सामान्य बुखार क्या है ? वायरल फीवर दूर करने के बेस्ट आयुर्वेदिक उपचार

By | December 26, 2020

बुखार, वैसे तो एक सामान्य बीमारी है | यदि हम बुखार होने की अवस्था को बीमारी न कहे तो यह अधिक उचित होगा, क्योंकि सामान्य बुखार कोई बीमारी नहीं है | यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को Improve करने के लिए स्वतः ही हमारे शरीर में होने वाले तापमान में बदलाव की स्थिति है | आइये ठीक से इसे समझने का प्रयास करते है |

सामान्य बुखार :

हमारा शरीर में प्रतिदिन बाहरी विषाणुओं का प्रवेश होता रहता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति इसे स्वतः ही नष्ट करती भी रहती है जिसका हमें पता भी नहीं चलता | यह क्रिया नियमित रूप से चलती रहती है और अधिकतर हमें पता भी नहीं चल पाता | किन्तु कभी-कभी कुछ बाहरी विषाणु जिनकी प्रकृति थोड़ी अलग होती है यह फिर इसे विषाणु जो थोड़े शक्तिशाली होते है जिनके हमारे शरीर में प्रवेश करने पर हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति इसे विषाणु को नष्ट नहीं कर पाती, ऐसी स्थिति में हमारा शरीर स्वयं के तापमान को बढ़ाकर हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में कार्य करने लगता है |

इस स्थिति में शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है और हमें बुखार महसूस होता है | जैसे ही आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति विकसित होकर उस विषाणु को नष्ट कर देती है आपके शरीर का तापमान पुनः सामान्य स्थिति में आ जाता है | सामान्य बुखार/(Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar) आपको वर्ष में किसी भी समय हो सकता है इसके लिए मौसम में बदलाव होने का कोई ख़ास सम्बन्ध नहीं है |

वायरल फीवर :

वायरल फीवर को भी आप सामान्य बुखार की श्रेणी में रख सकते है क्योंकि वायरल फीवर का सम्बन्ध बदलते मौसम से होता है | जैसे-जैसे मौसम में बदलाव आता है एक व्यक्ति के शरीर के तापमान में भी बदलाव आने लगता है इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति थोड़ी क्षीण रहती है और बाहरी विषाणु के शरीर में प्रवेश करते ही बुखार आ जाता है |

Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar

Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar

वायरल फीवर और सामान्य बुखार में आयुर्वेद उपचार :

दोनों ही प्रकार के बुखार में आयुर्वेद की दवाएं और प्राकर्तिक जड़ी-बूटियां बहुत ही प्रभावी सिद्ध होती है | जिन लोगों को बुखार थोड़े लम्बे समय तक रह जाता है वे आधुनिक दवाएं खाते-खाते परेशान हो जाते है और ऊपर से अधिक दिनों तक आधुनिक दवाएं खाने से उनके हानिकारक परिणाम भी देखने को मिलते है |

आयुर्वेद द्वारा अपने बुखार को ठीक करने से आप अपने सभी टेस्ट अच्छे से अवश्य करा ले, क्योंकि शरीर में बुखार आने के और भी बहुत से कारण हो सकते है : जैसे : शरीर में कोई इन्फेक्शन , सूजन, दर्द या फिर विशेष प्रकार के विषाणु जैसे : मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि | ऐसी स्थिति में रोगी को विशेष उपचार की आवश्यकता रहती है | हाँ, यदि आपने सभी टेस्ट करा लिए है और result में सिर्फ सामान्य बुखार ही दिखाई दे रहा है तो आपको आयुर्वेद उपचार द्वारा अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना चाहिए |

Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar

वायरल और सामान्य बुखार में आयुर्वेद औषधियां :

आयुर्वेद द्वारा सामान्य बुखार का उपचार न केवल आपको अच्छा स्वास्थ्य देने वाला है बल्कि पूर्णतः सुरक्षित भी है | आइये जानते है ऐसी कौन-कौन सी औषधियां है जो सामने बुखार होने पर प्रभावी सिद्ध होती है :

  • बुखार होने की स्थिति में गिलोय का सेवन 100% सकारात्मक परिणाम देने वाला है | गिलोय की बेल का तना लेकर इसे थोड़ा कूट ले अब इसे एक गिलास पानी में डालकर अच्छे से उबाले, 5 मिनट तक इसे उबाल लेने के पश्चात् इस पानी को छानकर सेवन करना चाहिए | इस काढ़े का सेवन दिन में दो से ३ बार करना चाहिए | गिलोय के निर्मित उत्पाद आप बाजार से भी प्राप्त कर सकते है जैसे : गिलोय काढ़ा, गिलोय वटी आदि | इनका सेवन भी आप कर सकते है | गिलोय के 2 से 3 दिन सेवन करने मात्र से आपको बुखार में राहत मिलने लगेगी |
  • आयुर्वेद दवा निर्माता कम्पनी वैद्यनाथ द्वारा निर्मित कुछ विशेष औषधियां इस प्रकार से सेवन करें :      फीवरकट ३० टैब , गुडूची(गिलोय)घन बटी ३० टैबलेट ,  पपैनविन ३० टैबलेट   , अभ्रक भस्म ५ ग्राम  , गोदन्ती भस्म ५ ग्राम

     सभी औषधियों को ऊपर दी गयी मात्रा के अनुसार लेकर पीस ले अब इनकी बराबर ३० पुड़ियाँ बना ले | दिन में तीन बार शहद के साथ एक-एक पुड़ियाँ का सेवन करें | यह उपचार वायरल फीवर और सामान्य बुखार होने पर प्रयोग में लाने से पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र लाभ मिलता है

  • सितोपलादि चूर्ण : सितोपलादि चूर्ण आयुर्वेद की विभिन्न औषधियों का संयोग है जो बुखार के साथ-साथ स्वसन तंत्र पर भी अच्छा कार्य करता है | बुखार के साथ-साथ जुकाम-खांसी-गला ख़राब और  कफ जैसी समस्याएं होने पर सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग शहद के साथ अवश्य करना चाहिए |
  • त्रिभुवनकीर्ति रस : आयुर्वेद की इस औषधि का प्रयोग चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए | बुखार में शीघ्र लाभ प्राप्त करने में यह प्रभावी औषधि है | इसके सेवन से जल्द ही पसीने आकर शरीर में दर्द से राहत मिलती है(Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar) |
  • तुलसी और लौंग के काढ़े का प्रयोग : आयुर्वेद में बुखार दूर करने हेतु विभिन्न प्रकार के काढ़े प्रयोग में लाये जाते है | सामान्य व वायरल फीवर दूर करने में तुलसी पत्तों द्वारा बना काढ़ा विशेष रूप से लाभ प्रदान करता है | 20 से 30 साफ़ तुलसी के पत्ते एक लीटर पानी में डाले अब इसमें 10 लौंग को पीसकर डाले | इस पानी को 5 से 10 मिनट तक अच्छे से उबाले | पानी को छानकर रख ले | अब इस पानी की एक कप मात्रा में सेवन हर 2 से ३ घंटे के उपरांत करना चाहिए | हर बार सेवन से पहले काढ़े को थोडा गरम कर ले |

आयुर्वेद में अनगिनत औषधियाँ है जो बुखार/(Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar) दूर करने में प्रयोग में लायी जाती है | इसके साथ ही अनगिनत घरेलु प्रयोग भी बहुत प्रभावी सिद्ध होते है | किन्तु बुखार के उपचार में एक समय में एक से दो या अधिकतम ३ औषधियां ही प्रयोग में लायी जाती है | इसलिए बुखार दूर करने के विषय में उपरोक्त दिए गये सभी उपायों में से आपको सभी को एक साथ प्रयोग में नहीं लाना है आप एक बार में एक या या दो औषधियों का ही प्रयोग करें | यह सुरक्षित भी है और प्रभावी भी |

सामान्य बुखार/Viral Fever Ka Ayurvedic Upchar लम्बे समय तक बने रहने पर या वायरल फीवर होने पर आप आयुर्वेद उपचार के साथ-साथ कुछ जरुरी बाते अवश्य ध्यान में रखे | जैसे : बुखार होने पर ठंडा पानी, ठंडा भोजन, ठंडी तासीर का भोजन और चिकनी -तली हुई और बासी भोजन के सेवन से बचे | भारी भोजन न करें, हल्का भोजन खाए, फलों का सेवन अधिक करें | पानी को उबालकर रख ले | पूरे दिन जब भी पानी पिए, हल्का गरम करके पीये | कुछ दिन अधिक मेहनत न करें | शरीर को अधिक से अधिक आराम दे |