हमारा शरीर उस परमपिता परमेश्वर की दी हुई अमूल्य भेंट है जिसकी कीमत लगाना असम्भव है | जब तक जीवन है हमारा प्रथम कर्तव्य अपने शरीर के प्रति जागरूक होकर इसे अंत तक स्वस्थ रखने का प्रयास करना चाहिए | एक स्वस्थ शरीर का महत्व वह व्यक्ति बहुत अच्छे से समझ सकता है जिसने अपने शरीर को रोगों का घर बना लिया हो | ऐसा व्यक्ति जीवन में सभी सुखों से परिपूर्ण होते हुए भी असहाय महसूस करता है | किसी ने सच ही कहा है ” पहला सुख निरोगी काया ” जीवन में सभी सुखों की अनुभूति तभी की जा सकती है जब आपका शरीर स्वस्थ हो | शरीर को स्वस्थ रखने में व्यायाम/Vyayam ke Labh का बहुत महत्व है |
एक व्यक्ति अपने बचपन में शरीर से पूर्णतया स्वस्थ होता है वो इसलिए क्योंकि बचपन में खेल खुद जैसी क्रियाएं स्वतः ही होती रहती है जो मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नितांत आवश्यक है | अस्वस्थ व्यक्ति के लिए धन-दौलत आदि को कोई मूल्य नहीं रहता है जीवन के हर आनंद उसे फीके लगने लगते है |
स्वामी विवेकानंद ने कहा है : स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है | शरीर से अस्वस्थ होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से भी विकृत होने लगता है | तनाव, अवसाद, नकारात्मक भाव हर समय उसके मस्तिष्क को घेरे रखते है | नियमित रूप से व्यायाम शरीर को तो स्वस्थ रखता ही है साथ ही ऐसे व्यक्ति का मन सदैव चिंता, तनाव आदि से मुक्त होकर प्रसन्न रहता है और सकारात्मक सोच के साथ जीवन निर्वाह करता है |
Vyayam ke Labh :
व्यायाम से मिलने वाले लाभ :-
यह तो आप समझ ही चुके है कि स्वस्थ शरीर का जीवन में क्या महत्व है तो आइये जानते है नियमित रूप से व्यायाम आपके शरीर को किस प्रकार से लाभान्वित/Vyayam ke Labh करता है |
- शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनाये रखने के लिए और शरीर की बनावट आकर्षक बनाये रखने में व्यायाम बहुत उपयोगी सिद्ध होता है |
- नियमित व्यायाम करने से आपका पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है और गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलता है |
- अधिक समय घर पर अकेले रहने वाले व्यक्ति को व्यायाम अवश्य करना चाहिए इससे उसे अकेलेपन से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ में मानसिक प्रसन्नता भी मिलेगी |
- आज के आधुनिक समय में ह्रदय घात जैसी बीमारी एक आम बात लगने लगी है किन्तु क्या आप जानते है नियमित व्यायाम आपको लम्बे समय तक ह्रदय संबंधी सभी बिमारियों से दूर रखता है | परिवार में किसी को ह्रदय घात जैसी बीमारी होने पर डॉक्टर्स सलाह देते है कि ऐसे परिवार के सदस्यों को 35 वर्ष की आयु के बाद वसा का सेवन करना बंद कर देना चाहिए और अधिक से अधिक व्यायाम करना चाहिए |
- नियमित व्यायाम से आपके शरीर का वजन संतुलित रखता है | मोटापा घटने लगता है और साथ ही ऐसे लोगों में मधुमेय जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी कम रहता है | मधुमेय होने का मुख्य कारण रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ना है | व्यायाम करने से रक्त में शर्करा की मात्रा संतलित रहती है |
- जिन लोगों का रोग प्रतिरक्षण तंत्र कमजोर रहता है वे बहुत जल्द सर्दी, जुकाम, खांसी, इन्फेक्शन और बुखार आदि की चपेट में आ जाते है | नियमित व्यायाम करने वाले लोगों में रोगों से लड़ने वाली प्रतिरक्षण प्रणाली मजबूत होने लगती है |
- व्यायाम करने से नींद अच्छी आने लगती है |पूरे दिन शरीर में तंदरुस्ती रहती है | रक्तचाप जैसी बीमारी भी व्यायाम करने से नियंत्रित होने लगती है(Vyayam ke Labh) |
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व्यायाम किस प्रकार करें :-
व्यायाम सदैव खाली पेट ही करना चाहिए | सुबह के समय सूर्योदय से पूर्व किया गया व्यायाम सर्वश्रेठ होता है | सुबह के समय वातावरण शांत और शुद्ध रहता है इससे शुद्ध ओक्सिजन मिलती है | व्यायाम करने का स्थान खुला और एकान्तमय होना चाहिए | किसी बीमार व्यक्ति को व्यायाम करने से पहले डाक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए | व्यायाम अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए | अपनी क्षमता से अधिक व्यायाम आपको हानि पहुँचा सकता है | बच्चों के लिए खेल-कूद की क्रीड़ायें करना ही व्यायाम का कार्य करता है इसलिए उन्हें अतिरिक्त व्यायाम(Vyayam ke Labh) करने की आवश्यकता नहीं है | व्यस्क व्यक्ति को योगासन,आसन , हाथ-पैरो की एक्सरसाइज, धीमी गति से दौड़ लगाना व साइकिल चलाना इस प्रकार के व्यायाम करने चाहिए | वृद्ध व्यक्ति के लिए योग, प्राणायाम और पैदल चलना ही सबसे उत्तम व्यायाम है |