हिन्दू धरम अपनी मान्यताओं और परम्पराओं के अनुसार अन्य सभी धर्मो से बिलकुल अलग है | इस धरम में देवी-देवताओं की संख्या और उनकी पूजा पद्दति इसे अन्य धर्मों से अलग रखती है | आज हम आपको सप्ताह में होने वाले 7 दिनों के अनुसार प्रतिदिन किस देव या देवी की पूजा आराधना करनी चाहिए, इस विषय पर जानकारी देने वाले है | यूँ तो देव पूजा के लिए किसी विशेष दिन या विशेष समय का होना अनिवार्य नहीं होता | सच्चे मन से कभी भी और किसी भी समय अपने आराध्य देव को याद किया जा सकता है उनका स्मरण किया जा सकता है(Kis Din Kare Kis Dev ki Puja) | किन्तु किसी विशेष पूजा या अनुष्ठान के समय सही समय और विशेष दिन का होना अति आवश्यक माना गया है |
Kis Din Kare Kis Dev ki Puja :-
सप्ताह में किस दिन करें, किस देव की पूजा : –
वैसे तो हिन्दू धरम में देवी-देवताओं की संख्या अनगिनत है और सभी के लिए विशेष दिन के विषय में जानकारी देना थोड़ा कठिन होगा | इसलिए आज हम आपको मुख्य देवी और देवों के विषय में ही यहाँ जानकारी देंगे :
रविवार को करें इस देव की पूजा : –
रविवार का दिन सूर्यदेव को सर्मपित है | इस दिन सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए | सूर्य पूजा में विशेष महत्व सूर्य को अर्ध्य देना माना गया है | सुबह-सुबह स्नान आदि से निवृत होकर बिना भोजन ग्रहण किये ही सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए | सूर्य को जल किस प्रकार देना चाहिए इसके लिए आप इस Post द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते है : सूर्य को जल देने की सही विधि
सोमवार को करे इस देव की पूजा : –
जो लोग धार्मिक कार्यों में थोड़ी बहुत ही रूचि रखते है उन्हें यह बताने की आवश्यकता नहीं कि इस दिन कौन से देव की पूजा की जाती है | यह लगभग सभी जानते होंगे | जी हाँ , यह दिन भगवन शिव को समर्पित है | इस दिन भोलेनाथ की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है | भोलेनाथ की पूजा में शिवलिंग पूजा सबसे अधिक महत्व रखती है | इसलिए सोमवार की सुबह आप शिव मंदिर जाकर विधिवत शिवलिंग रुद्राभिषेक करें | शिवलिंग रुद्राभिषेक कैसे करें इस विषय में जानकारी के लिए आप इस Post को पढ़े : शिवलिंग रुद्राभिषेक विधि
मंगलवार किस देव को समर्पित है : –
मंगलवार का दिन श्री राम भक्त हनुमान जी को समर्पित है | कलियुग में हनुमान जी की पूजा अति शीघ्र फल प्रदान करने वाली है | हनुमान पूजा में आपको सच्ची भक्ति व पूर्ण निष्ठा भाव की आवश्यकता है | हनुमान पूजा आप हनुमान चालीसा पाठ , हनुमान अष्टक , बजरंग बाण या सुन्दरकाण्ड पाठ के वाचन द्वारा कर सकते है | हनुमान जी के विशेष मंत्र द्वारा भी हनुमान पूजा इस दिन की जा सकती है |
बुधवार का दिन गणेश पूजा को समर्पित : –
बुधवार का दिन श्री गणेश पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है | बुधवार की सुबह शिवमंदिर जाये वहाँ शिवपरिवार में आपको गणेश जी की भी प्रतिमा दिखेगी | शिवलिंग को जल अर्पित करने के साथ-साथ गणेश जी को भी जल अर्पित करें | पुष्प अर्पित करें | गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें | तिलक करें व भोग लगाये | उनके सामने धुप-दीप लगाये | अब गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका आव्हान करें | गणेश जी की आरती करें व गणेश चालीसा का पाठ करें |
ब्रहस्पतिवार को कौन से देव की पूजा करनी चाहिए : –
इस दिन को गुरुवार भी कहा गया है | इस दिन आप आपने गुरु की पूजा कर सकते है | यह दिन देवों के गुरु ब्रहस्पति को समर्पित है | इस दिन श्री हरि विष्णु की भी पूजा की जाती है | सिरडी साईं पूजा भी इसी दिन की जाती है | यदि आपने भी सच्चे मन से कोई गुरु धारण किया है तो इस दिन आप अपने गुरु की पूजा करें | गुरुपूजा : – पूजा स्थल पर गुरु जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक प्रज्वल्लित करें | धुप आदि लगाये | उन्हें पुष्प अर्पित करें | अब गुरु द्वारा दिए गये गुरु मंत्र द्वारा गुरु पूजा करें |
Kis Din Kare Kis Dev ki Puja
शुक्रवार का दिन माता रानी को समर्पित : –
शुक्रवार का दिन देवी दुर्गा , माँ लक्ष्मी , संतोषी माता , वैभव लक्ष्मी व माँ के अन्य स्वरूपों को समर्पित है | सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ इस दिन किया जाना चाहिए | दुर्गा सप्तसती के सिद्ध कुंजिका पाठ द्वारा माँ की आराधना करना सबसे अधिक फल प्रदान करने वाला है | यदि विधिवत और सच्चे मन से यह कार्य किया जाये तो माँ की आराधना में यह सर्वश्रेष है(Kis Din Kare Kis Dev ki Puja) |
शनिवार का दिन – किस देव की पूजा करें : –
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है | इस जीवन में कर्म के अनुसार फल देने का कार्य शनिदेव से सम्बंधित माना गया है | आपके द्वारा किये गये पाप कर्म और पुण्य कर्म के फल शनिदेव ही संचालित करते है | इस दिन शनिदेव के मंदिर जाकर उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें | लोह की वस्तु अर्पित करें | काले तिल अर्पित करें | तेल का दीपक जलाए | शनि देव की प्रतिमा के बिलकुल सामने कदापि न जाए थोडा साइड से ही उन्हें प्रणाम करें | शनि चालीसा पाठ करें | शनिवार को हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है | इसलिए इस दिन आप हनुमान जी की भी पूजा कर सकते है |
आप जिस भी देव या देवी की पूजा आराधना करते है | पूर्ण निष्ठा भाव के साथ करें | द्रढ़ संकल्प के साथ करें व मन लगाकर करें | बहुत बार ऐसा होता है जब लोगों के मन में ऐसे भाव आने लग जाते है जैसे : एक देव आपकी नहीं सुनता अर्थात आपका कार्य नहीं बनता तो आप दुसरे देव की शरण में पंहुच जाते है और दुसरे से तीसरे देव की शरण में | यह गलत है सभी देव स्वयं में असीमित शक्तियां रखते है बस आपको धैर्य रखने की आवश्यकता है भगवान भी आपकी परीक्षा लेते है(Kis Din Kare Kis Dev ki Puja) | चलिए इस विषय पर फिर कभी विस्तार से चर्चा करेंगे |